रविवार को विश्वासियों ने खजूर पर्व उत्साह के साथ मनाया।
विश्वासियों ने खजूर की डाली हाथ में लिए प्रभु येसु के येरूशलम प्रवेश को याद किया। सुबह 6 बजे खजूर डाली के साथ हजारों विश्वासियों ने लोयला ग्राउंड से संतमारिया महागिरजा तक शोभायात्रा निकाली और गिरजाघर पहुंचकर चर्च की परिक्रमा की। चर्च प्रांगण में मिस्सा अनुष्ठान हुआ। इसके मुख्य अनुष्ठाता नए आर्च बिशप विंसेंट आइंद थे इनका सहयोग अन्य पुरोहितों ने किया। आर्च बिशप विंसेंट आइंद ने अपने प्रवचन संदेश में कहा कि येसु ख्रीस्त का येरूशलेम प्रवेश करना ही अंतीम यात्रा नहीं थी, बल्कि उनकी यात्रा तो स्वर्ग राज रहा है। उनकी इस यात्रा के हम सहयात्री बनते हैं। उनके दुखभोग के द्वारा हमें मुक्ति मिली है। इसके माध्यम से उन्होंने ईश्वर की मानव मुक्ति योजना को पूरा किया। येसु के दुख का चिंतन करते हुए उनकी मुक्ति योजना में हम भी शामिल होकर स्वर्ग राज की ओर यात्रा करें। उन्होंने कहा कि येसु के गधे पर सवार होना उनकी विनम्रता का प्रतीक है। शांति के लिए नम्रता का गुण आवश्यक है। येसु ख्रीस्त सत्ता पलटने के लिए नहीं, बल्कि शांति और न्याय के राज्य की स्थापना के लिए पृथ्वी पर आए। उन्होंने पिता ईश्वर की योजना को मनुष्य के पाप और मृत्यु मुक्ति के लिए ही नहीं, बल्कि नए जीवन प्रदान करने के लिए बताया। जब हम इस त्योहार को मनाते हैं तो अपने नए स्वाभाव और सोंच धारण करें। संत मारिया महागिरजा में पहले मिस्सा के दौरान पल्ली पुरोहित फादर आनंद डेविड खलखो ने कहा कि येसु ने दु:ख केवल अंतिम समय में ही नहीं, बल्कि बचपन से लेकर कूस मरण तक उठाया था। हमें पाप और मृत्यु से उठाने के लिए उन्होंने दुख सहा। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे जीवन में भी दुख और तकलीफ होते हैं। इन दुखों से हम ना घबराएं, बल्कि ऐसे समय में प्रभु येसु की उपस्थिति को महसूस करें।